मुस्लिम विवाह विच्छेद के प्रकार
(Kinds of Dissolution of Muslim Marriage)-
📌यह 2 प्रकार से होता है-
#ईश्वर कृत्य द्वारा (By Act Of God)➡जब विवाह के पक्षकार में से किसी की भी मृत्यु हो जाती है विवाह विच्छेद हो जाता है तो वह ईश्वर कृत्य द्वारा (By Act Of God) विवाह विच्छेद कहा जाता है।
##पक्षकारों द्वारा (By Act Of Parties)➡जब विवाह के पक्षकार में से किसी के भीतर द्वारा या दोनों के द्वारा विवाह विच्छेद हो जाता है तो वह पक्षकारों द्वारा (By Act Of Parties) विवाह विच्छेद कहा जाता है। यह 2 प्रकार से होता है-
A] बिना न्यायिक कार्यवाही द्वारा (Without Judicial Proceedings)
B] न्यायिक कार्यवाही द्वारा (By Judicial Proceedings)
A] बिना न्यायिक कार्यवाही द्वारा (Without Judicial Proceedings)👉
📌जब पक्षकार खुद अपने मन से तलाक की घोषणा करते हैं उसे बिना न्यायिक कार्यवाही के विवाह विच्छेद कहा जाता है।
📌यह 3 प्रकार से होता है
क) पति के द्वारा (By Husban)
ख) पत्नी के द्वारा (By Wife)
ग ) आपसी सहमति से (By Mutual Consent)
क) पति के द्वारा विवाह विच्छेद (Divorce By Husband)➡
पति के द्वारा विवाह विच्छेद 3 प्रकार से होता है-
a) तलाक (Talaq)
b) इला (Ila)
c) जिहार (Zihar)
a) तलाक (Talaq)
📌तलाक अरबी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ होता है - 'निर्मुक्त करना' अर्थात् 📍"पति द्वारा विवाह संविदा का निराकरण करना"।
📌पति को मुस्लिम विधि के अनुसार बिना किसी कारण के पत्नी से तलाक लेने का अधिकार है।
📌तलाक दो प्रकार का होता है
*तलाक-उल-सुन्नत (Revocable Talaq)
**तलाक-उल-विद्द्त (Irrevocable Talaq)
*तलाक-उल-सुन्नत (Revocable Talaq)➡ तलाक-उल-सुन्नत एक प्रतिसंहरणीय तलाक है, क्योकि तलाक के शब्दों को उच्चारित करने के बाद इसे वापस लेने व तलाक को निरस्त करने की गुंजाइश बनी रहती है। यह दो तरीके का होता है-
1) तलाक-अहसन (Most Proper)
2) तलाक–हसन (Proper)
1) तलाक-अहसन (Most Proper)➡ तलाक-अहसन की औपचारिकताये निम्न है –
●तलाक देने के लिए पति को पत्नी के ‘तुहर’ अर्थात शुद्ध काल में केवल एक बार पत्नी को संबोधित करते हुए पति कहे 'मैंने तुम्हे तलाक दिया' उच्चारित करना पड़ता है। तलाक उच्चारित हो जाने के पश्चात पत्नी तीन माह तक इद्दत का पालन करती है इद्दत की अवधि में पत्नी व पति के बीच कभी समझौता (Sexual Intercourse) हो जाता है तो तलाक निरस्त हो जाएगा और विवाह भंग होने से बच जाता है। लेकिन यदि इद्दत काल पूर्ण हो गया और उन दोनों के बीच समझौता न हो सका तो इद्दत के ख़त्म होने पर तलाक पूरा हो जाता है।
●कोई भी स्त्री जब मासिक धर्म में नहीं रहती है तो वह उसका तुहर काल कहलाता है।
2) तलाक–हसन (Proper)➡ तलाक-हसन की औपचारिकताये निम्न है –
●पत्नी के तुहर काल में पति तलाक को एक बार उच्चारित करे तथा इस पूरे शुद्ध काल में प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष समझौता न हो।
●पत्नी के दूसरे तुहर काल आने पर पति फिर एक बार तलाक को उच्चारित करे, दूसरे शुद्धकाल में भी पति द्वारा तलाक का प्रतिसंहरण न हो।
●पत्नी को तीसरे तुहरकाल आने पर पति पुनः तलाक की घोषणा करे इस तीसरे व अंतिम घोषणा के बाद तलाक पूर्ण मान लिया जाएगा।
**तलाक-उल-विद्द्त (Irrevocable Talaq)➡ इसे तलाक–उल–वेन या तिहरा तलाक (Triple Talaq) भी कहते हैं। यह एक अप्रतिसंहरणीय तलाक है, क्योकि तलाक के शब्दों को उच्चारित करने के बाद इसे वापस लिया या तलाक को निरस्त नहीं किया जा सकता है। और पति-पत्नी में समझौता होने की गुंजाइश नहीं रहती है। यह तलाक का कठोरतम रूप है। पैगम्बर मुहम्मद ने इस प्रकार के तलाक का कभी अनुमोदन नहीं किया और न ही इसका प्रचलन उनके जीवन काल में हो पाया। सुन्नी विधि के हनफी स्कूल में इसे मान्यता प्राप्त है, शिया विधि में इसे मान्यता प्राप्त नहीं है इसकी निम्न औपचारिकताये है-
●तलाक देने के लिए पति को पत्नी को संबोधित करते हुए मैंने तुम्हे तलाक दिया, मैंने तुम्हे तलाक दिया, मैंने तुम्हे तलाक दिया उच्चारित करना पड़ता है। पति द्वारा मात्र इन शब्दों के एक ही बार में उच्चारित करने पर तलाक पूर्ण हो जाता है।
☆ट्रिपल तलाक को शायरा बानो के वाद में असंवैधानिक घोषित कर दिया गया है।
b)इला (Vow of Continence)➡इला की विधि से विवाह भंग करने के लिए, पति शपथ लेता है कि वह पत्नी से सम्भोग नहीं करेगा। इस शपथ के पश्चात् यदि पति व पत्नी के बीच 4 माह तक सम्भोग नहीं होता है तो 4 माह के पूर्ण हो जाने पर विवाह विच्छेद बिना किसी कार्यवाही के पूर्ण हो जाएगा और इन चार माह के अन्दर उनके सम्बन्ध ठीक हो जाता है तो यह शपथ निरर्थक हो जायेगा।
c)जिहार (Injurious Assimilation)➡जिहार का अर्थ है – ‘आपत्तिजनक तुलना’। इस विधि से विवाह-विच्छेद करने के लिए पति अपने पत्नी की तुलना किसी ऐसी महिला से करता है जिससे विवाह करना उसके लिए निषिद्ध है। पति अपनी पत्नी की तुलना माता या बहन से करता है, इस कथन के बाद 4 माह का समय पूर्ण हो जाने पर विवाह विच्छेद हो जाएगा इसी बीच पति अपने इस कथन को वापस ले लेता है तो यह कथन निरस्त हो जायेगा।
ख) पत्नी द्वारा विवाह विच्छेद (Divorce by Wife)➡
मुस्लिम विधि में पत्नी द्वारा विच्छेद पति द्वारा तलाक के अधिकार को पत्नी में प्रत्यायोजित करने पर अर्थात तफवीज के अंतर्गत होता है |पत्नी मात्र अपनी स्वेच्छा से विवाह विच्छेद करने में सक्षम नहीं है।
तलाक-ए-तफवीज (Delegated Talak)➡ मुस्लिम पति को तलाक द्वारा विवाह विच्छेद करने का इतना सम्पूर्ण असीमित अधिकार प्राप्त है कि वह इस अधिकार का स्वंय न करके इसे किसी अन्य व्यक्ति में प्रतिनिहित करके उसे यह अधिकार प्रदान कर सकता है। सामान्यतः तलाक के अधिकार को पति द्वारा अपनी पत्नी में ही प्रतिनिहित करने का प्रचलन है, ऐसी स्थिति में पत्नी भी इस प्राधिकार के अंतर्गत तलाक दे सकती है और यह उसी प्रकार मान्य तथा प्रभावी होगा जैसा की स्वंय पति द्वारा दिया गया तलाक। पति तलाक देने के पत्नी के अधिकार को चाहे तो हमेशा के लिए सौप सकता है या कुछ निश्चित अवधि के लिए।पति द्वारा पत्नी को तलाक का अधिकार सौप देने पर भी पति का स्वंय का तलाक देने का अधिकार बना रहता है।
ग) पारस्परिक सहमति द्वारा विवाह-विच्छेद (Divorce by Mutual Consent)➡
पारस्परिक सहमति द्वारा विवाह-विच्छेद दो प्रकार से हो सकता है –
(1)खुला
(2)मुबारत
(1) खुला (Khula)➡विधि की शब्दावली में खुला का मतलब है - पति की सहमति से उसे (पति को) कुछ मुआवजा देकर पत्नी द्वारा विवाह-विच्छेद।
मुंशी बुजलुल रहीम बनाम लतीफुन्निसा के प्रसिद्ध वाद में प्रीवी कौंसिल ने कहा कि खुला विवाह विच्छेद का एक तरीका है जिसमे पत्नी वैवाहिक बंधनों से अपने को निर्मुक्त करने के लिए पहल करती है छुटकारा पाने के एवज में पत्नी अपने पति को कुछ न कुछ प्रतिफल देती है या प्रतिफल स्वरूप कुछ राशि या संपत्ति प्रदान करने का अनुबंध करती है।
विधिमान्य खुला की आवश्यक शर्त ➡
📍पति तथा पत्नी स्वस्थचित्त तथा वयस्क हो।
📍पति व पत्नी दोनो की स्वतंत्र सहमति आवश्यक है।
📍खुला का उपबंध प्रस्ताव तथा स्वीकृति द्वारा पूर्ण होना चहिये।
📍खुला में पत्नी द्वारा पति को मुआवजा व क्षतिपूर्ति के रूप में प्रतिफल का दिया जाना आवश्यक है।
(2) मुबारत (Mubarat)➡मुबारत शुद्ध रूप से परस्पर अनुमति द्वारा विवाह-विच्छेद माना जाता है।मुबारत के अनुबंध में विवाह-विच्छेद का प्रस्ताव पति द्वारा भी किया जा सकता है और पत्नी द्वारा भी। दूसरे पक्ष द्वारा इसे स्वीकार कर लिए जाने पर विवाह-विच्छेद पूर्ण हो जाता है खुला की भांति मुबारत में भी पति व पत्नी का सक्षम होना आवश्यक है।
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