Essential Element of Muslim Marriage in hindi for llb

Essential Element of Muslim Marriage
A] सक्षम पक्षकार (Competence Parties) –
1) उसने यौनावस्था की आयु (Age of Puberty) प्राप्त कर ली हो।
2) स्वस्थ मस्तिष्क (Sound mind) वाला हो।
3) मुस्लिम (Muslim) हो। be a muslim
📎Age of Puberty➡
📍मुस्लिम विधि में विवाह, मेहर तथा तलाक से संबंधित मामलों में वयस्कता की आयु 18 वर्ष ना होकर योवना अवस्था की आयु अर्थात 15 वर्ष मानी जाती है
📍जब पक्षकार 15 वर्ष की आयु पूरी कर लेते है तो वह विवाह के लिए विधिमान्य सहमति भी दे सकते है।
📍लेकिन अगर कोई 15 वर्ष की आयु (Age of Puberty) प्राप्त न की हो, तो विवाह के लिए उसे अवयस्क (Minor) माना जायेगा, तथा उसकी ओर से उसके अभिभावक विवाह की सहमति दे सकते है।
📍Child Marriage Prohibition Act (1929) के अनुसार - जो बाल-विवाह की प्रथा को रोकने के लिए बनाया गया इसमें पुरुष के लिए न्यूनतम आयु विवाह के लिए 21 वर्ष की गए है। इस अधिनियम (Act) का प्रभाव Muslim Law पर भी पड़ता है।
📎Soundness of Mind➡
📍विवाह सम्पन्न होते समय दोनों पक्षकारो का स्वस्थचित होना आवश्यक है।
📎be a muslim➡
📍यदि पति व पत्नी दोनो ही मुस्लिम है तो वहां पर वह किसी भी शाखा के हो वह विवाह विधिमान्य माना जायेगा लेकिन इनके धर्म अलग-अलग होने पर इनका विवाह अंतर्धर्मीय विवाह (Inter religious Marriage) माना जायेगा। अंतर्धर्मीय मुस्लिम विवाह (Inter religious Marriage) के नियम निम्न है-
सुन्नी पुरुष और शिया महिला के मध्य विवाह विधिमान्य विवाह है।
सुन्नी पुरुष और किताबिया महिला के मध्य विवाह विधिमान्य विवाह है।
सुन्नी पुरुष और गैर मुस्लिम अथवा गैर कितबिया महिला के मध्य विवाह अनियमित विवाह है।
शिया पुरुष और किताबिया अथवा गैर किताबिया महिला के मध्य विवाह शून्य विवाह है।
मुस्लिम महिला और गैर मुस्लिम पुरुष के मध्य विवाहशून्य विवाह है।
B] स्वतंत्र सहमति (Free Consent)➡
मुस्लिम विवाह के विधिमान्य होने के लिए पक्षकारो या उनके अभिभावकों की सहमति  आवश्यक है पक्षकार यदि वयस्क तथा स्वस्थचित मस्तिष्क वाले है तो उनकी स्वयं की सहमति ही पर्याप्त  है | सहमति चाहे स्वयं पक्षकारो की हो या उनके अभिभावको की, स्वतंत्र होनी चाहिये



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Marriage difference in Sunni and Shia सुन्नी एवं शिया में विवाह संबंधित अंतर

Marriage difference in Sunni and Shia
सुन्नी एवं शिया में विवाह संबंधित अंतर


1.) सुन्नी में मुता विवाह अमान्य (Invalid) होता है। शिया में मुता विवाह मान्य (Valid) है।

2.) पिता (Father) व पितामह (Grandfather) के अलावा भी अन्य लोग विवाह के संरक्षक (Guardian) हो सकते हैं।
केवल पिता (Father) व पितामह (Grandfather) ही विवाह के संरक्षक (Guardians) हो सकते हैं।

3.)विवाह के समय दो साक्ष्यों (Witnesses) का होना आवश्यक है।
विवाह के समय साक्ष्यों (Witnesses) की आवश्यकता नहीं होती है।

4.)एक साथ अकेले रहने में ही विवाह पूर्ण माना जाता है।
विवाह की पूर्णता समागम (Sexual intercourse) के बाद होती है।

5.) विवाह Valid, Irregular या Void हो सकता है विवाह Valid, या Void हो सकता है।

6.)एक सुन्नी पुरुष को किसी गैर मुस्लिम स्त्री (चाहे वह किसी संप्रदाय की हो) तथा किसी किताबिया लड़की से विवाह करने का पूर्ण अधिकार है जबकि एक सुन्नी मुस्लिम स्त्री को किसी गैर मुस्लिम से विवाह करने का कोई अधिकार नहीं होता है।
लेकिन शिया में पुरुष व स्त्री दोनों ही किसी गैर मुस्लिम से विवाह नहीं कर सकते हैं।
केवल पुरुष किसी किताब या या अग्निपूजक पारसी लड़की से मुता या अस्थाई विवाह कर सकता है।

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Schools of Muslim law मुस्लिम विधि की विचारधाराएं

Schools of Muslim lawमुस्लिम विधि की विचारधाराएं


पैगंबर मोहम्मद इस्लामी राष्ट्रमंडल के सर्वे सर्वा थे वह कानून संबंधित विषयों के सर्वोच्च प्राधिकारी भी थे उनके देहांत के बाद तत्कालीन समस्या उनके उत्तराधिकार को प्राप्त होने लगी थी।

पैगंबर मोहम्मद साहब का उत्तराधिकारी किसे माना जाए इस प्रश्न को हल करने के लिए मुस्लिम विधि दो विचारधाराओं में विभाजित हो गई।

सुन्नी स्कूल तथा शिया स्कूल



A) सुन्नी विचारधाराएं (Sunni Schools)➡

📌 खलीफा के पद को निर्वाचन द्वारा भरने के समर्थक "सुन्नी" कहलाए, और इन्होंने अबूबकर को अपना प्रथम खलीफा चुना।
📌 भारत में अधिकांश मुसलमान सुन्नी संप्रदाय के हैं।

सुनी विचारधाराएं की चार उप विचारधाराएं हैं -
1) हनफी विचारधाराएं (The Hanafi School)
2) मालिकी की विचारधाराएं (The Maliki School))
3) शफी विचारधाराएं (The Shafie School)
4) हनबली विचारधाराएं (The Hanbali School)


1) हनफी विचारधाराएं (The Hanafi School)➡

📌यह मुस्लिम विधि की पहली और सबसे प्रसिद्ध विचारधारा है।
📌पहले यह कूफ़ा स्कूल के नाम से जाना जाता था।
📌इसके बाद इस स्कूल के संस्थापक 'अबू हनीफा' के नाम पर इस स्कूल का नाम 'हनफी स्कूल' हो गया।
📌अबू हनीफा पहले मुस्लिम ज्यूरिस्ट थे जिन्होंने मुस्लिम विधि को पूरे विश्व में फैलाने के लिए अपने शिष्यों को प्रेरित किया तथा अपनी थ्योरी का आधार कुरान व हदीस को बताया।
📌अबू हनीफा ने कयास को मुस्लिम विधि के स्रोत के रूप में मान्यता प्रदान की।
📌अबू हनीफा ने 'फक़्क अकबर' नामक पुस्तक लिखी।
📌अबू हनीफा के दो शिष्य थे, इमाम मोहम्मद और इमाम अबू युसूफ इन दोनों ने हनफी स्कूल का विकास किया।


2) मालिकी की विचारधाराएं (The Maliki School))➡
📌यह नाम मदीना के मुफ्ती 'अश मलिक' के नाम पर रखा गया।
📌यह मुस्लिम धर्म के प्रमुख वरिष्ठ थे।
📌इन्होंने कुरान व हदीस को अपने सिद्धांत का आधार बताया।
📌संप्रदाय मे भी कयास को विधि का महत्वपूर्ण स्रोत माना।
📌अश मलिक ने सबसे प्राचीन ग्रंथ 'किताबें मुक्ता' की रचना की जो की हदीस की Most authoritative book थी।
📌भारत में मालिकी स्कूल के followers नहीं पाए जाते हैं।


3) शफी विचारधाराएं (The Shafie School)➡

📌शफ़ई स्कूल के प्रवर्तक अश-शफी थे ।
📌यह भी प्रमुख विधिवेत्ता थे।
📌ये कुरान के बाद सुन्ना को विधि का स्रोत मानते थे इसलिए इनको सुन्नत का ख़िताब मिला
📌इस संप्रदाय में इज्मा को अत्यधिक महत्वपूर्ण बताया गया था।
ख📌कयास के लिए सर्वप्रथम नियम निर्धारण का कार्य इसी संप्रदाय में किया |


4) हनबली विचारधाराएं (The Hanbali School)➡

📌इस विचारधारा के संस्थापक अबु हनबल थे।
📌यह परम्परावादी अधिक और विधिवेत्ता कम  थे।
📌इस कारण उन्होंने सुन्ना या हदीश की परम्पराओं का प्रयोग अपने सिद्धांतो में अधिक किया है।
📌इस विचारधारा के अनुसार कयास को विधि का स्रोत तभी मानना चहिये जब उसकी आवश्यकता हो।



B) शिया विचारधाराएँ (Shia Schools)➡

📌मुहम्मद साहब के वंशजो को उत्तराधिकार के आधार पर खलीफा नियुक्त करने वाले मुसलमान, शिया सम्प्रदाय कहलाये ।
📌इस समुदाय ने अली को अपना प्रथम खलीफा माना।
📌इस सम्प्रदाय में प्रमुख रूप से तीन विचार पद्धतियां मान्य थी –

(a)- अथना-अशारिया विचारधारा (The Athna-Asharia School) – इस सम्प्रदाय को मानने वाले मुहम्मद साहब के जो बारह इमाम हुए उनके अनुयायी है | ये कट्टर मुसलमान और कुरान को महत्व देते है |

(b)- इस्माइलिया विचारधारा (The Ismailia School) –इस सम्प्रदाय को मानने वाले सातवे इमाम इस्माइल को अपना प्रणेता मानते थे इनको सप्त-इमामी सम्प्रदाय भी  कहा जाता है |

(c)- जैदिया विचारधारा (The Zaidi School) – इस सम्प्रदाय के संस्थापक चौथे इमाम जैद थे | ये शिया और सुन्नीदोनों के धर्मावलम्बी है, और मूलतः यमन में पाए जाते है |

👉SOURCES OF MUSLIM LAW IN HINDI | मुस्लिम विधि के स्रोत | Muslim Law Notes for LLB https://youtu.be/E9kPr2HNXZ4

👉WHO IS MUSLIM | मुस्लिम कौन है? | IN HINDI | Muslim Law Notes for LLB | Muslim Law
https://youtu.be/_sKWzjLCmRI

👉DOCTRINE OF PITH AND SUBSTANCE | सार तत्व का सिद्धांत | IN HINDI  for Llb &  CS Constitutional law https://youtu.be/fiol9gxVKb4


👉DOCTRINE OF TERRITORIAL NEXUS | प्रादेशिक संबंध का सिद्धांत | IN HINDI FOR LLB AND CS | Constitution https://youtu.be/N-k_kLVhKfk


👉DOCTRINE OF COLOURABLE LEGISLATION | छद्मता का सिद्धांत | IN HINDI FOR LLB & CS | CONSTITUTIONAL Law  https://youtu.be/rV60lGyfxaY

👉DOCTRINE OF SEVERABILITY | पृथक्करणीयता का सिद्धांत | IN HINDI FOR LLB & CS Constitutional Law notes
https://youtu.be/rL-VxBgylwQ

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